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दोस्तों आप यह तो जानते ही है कि विभिन्न एक दिवसीय प्रतियोगी परीक्षाओं के दृष्टिकोण से भारतीय राजव्यवस्था Indian polity एक महत्वपूर्ण विषय हैं। जिससे काफी संख्या में प्रश्न विगत वर्षों में पूछे जाते रहे हैं। इसीलिए आज की हमारी यह पोस्ट इसी विषय से सम्बंधित एक महत्वपूर्ण topic Development of Indian Constitution in hindi से लिया गया है जो कि आपको आने वाले सभी प्रकार के Competitive Exams में बहुत काम आयेंगी ! अतः आप सभी से Request है कि आप इस पोस्ट को अपने Browser के BOOKMARK में Save कर लीजिये, और Check करते रहियेगा ! क्योकिं इस पोस्ट को समय – समय update किया जाता रहेगा तथा नए अध्यायों को जोड़ा जायेगा।
Development of Indian Constitution in hindi भारतीय संविधान का विकास
- संविधान शब्द की उत्पत्ति लैटिन शब्द ‘कान्स्टीट्युरे‘ से हुई जिसका अर्थ हैं;प्रबंध करना ,व्यवस्था करना या आयोजन करना।
- सन 1895 ई. में बाल गंगाधर तिलक ने स्वराज्य विधेयक का प्रारूप प्रस्तुत किया उसके बाद 1922 ई. में महात्मा गाँधी तथा वर्ष 1934 ई. में जवाहर लाल नेहरु ने भारतीय संविधान के निर्माण के लिए संविधान सभा के गठन की मांग की।
- भारतीय संविधान का विकास 1600 ई. से प्रारंभ होता हैं। इसी वर्ष इंग्लेंड में ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना हुई।
- ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना एक चार्टर एक्ट द्वारा की गई थी। कंपनी के प्रबंधन की समस्त शक्ति गवर्नर तथा 24 सदस्यीय परिषद् में निहित थी।
चार्टर एक्ट -1726
- कलकत्ता,बम्बई और मद्रास प्रेसिडेंसी के राज्यपाल एवं उनकी परिषद को विधायी अधिकार प्रदान किये गए।अब ये शक्ति कंपनी के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स में निहित थी।
रेग्युलेटिंग एक्ट -1773
- ईस्ट इंडिया कम्पनी पर संसदीय नियंत्रण की शुरुआत
- बंगाल के गवर्नर को बंगाल ,बिहार तथा मद्रास प्रेसीडेसियो का गवर्नर जनरल बनाया गया।
- कलकत्ता में एक सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना की गई,जिसके निर्णय के विरुद्ध सम्राट के सम्मुख अपील की जा सकती थी।
न्यायाधिकरण अधिनियम -1781
- गवर्नर जनरल को सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र से मुक्त रखा गया।
- सर्वोच्च न्यायालय की अधिकारिता बंगाल के सभी निवासियों पर निर्धारित की गई।
- कम्पनी की अदालतों के विरुद्ध गवर्नर जनरल को अपील की जा सकती थी।
पिट्स इंडिया एक्ट -1784
- कम्पनी की व्यापारिक गतिविधियों को ‘कोर्ट ऑफ़ डायरेकटर्स‘ तथा राजनितिक गतिविधियों को बोर्ड ऑफ़ कंट्रोलर्स के अधीन किया गया।
- इस एक्ट द्वारा द्वैध शासन व्यवस्था को लागु किया गया।
चार्टर एक्ट -1793
- बोर्ड ऑफ़ कंट्रोलर की शक्तियों को इसके अध्यक्ष के हाथ में केंद्रीकृत किया गया,जो ब्रिटिश मंत्रिमंडल का सदस्य होता था।
- कम्पनी को अगले 20 वर्षो के लिए व्यापार का एकाधिकार दिया गया।
- बोर्ड के सदस्यों तथा कर्मचारियों के वेतन भारत के राजस्व से देने की व्यवस्था की गई।
चार्टर एक्ट -1813
- कम्पनी के व्यापारिक अधिकार को समाप्त कर दिया गया केवल चाय के व्यापार को छोड़कर।
- इसके कारण कुछ ब्रिटिश व्यापारियों को व्यापार करने का अधिकार मिल गया।
चार्टर एक्ट -1833
- कम्पनी के सभी व्यापारिक अधिकार समाप्त कर दिए गए। कम्पनी को ब्रिटिश क्राउन के अधीन राजनितिक कार्य करने का ही अधिकार मिला।
- बंगाल का गवर्नर जनरल सम्पूर्ण ब्रिटिश भारत का गवर्नर जनरल बन गया।
- भारतीय कानूनों को एकीकृत एवं संहिताबद्ध करने के लिए विधि आयोग का गठन किया गया।
चार्टर एक्ट -1853
- बंगाल के लिए लेफ्टिनेंट गवर्नर जनरल का पद सृजित किया गया।
भारत शासन अधिनियम -1858
- भारत के शासन को कंपनी के हाथों से सम्राट को हस्तान्तरित कर दिया गया|भारत का शासन सम्राट के नाम से किया जाने लगा।
- इस अधिनियम में गवर्नर जनरल का नाम बदलकर ‘भारत का वायसराय‘ रख दिया गया।
- इस अधिनियम में 1784 के पिट्स इंडिया एक्ट द्वारा लागू द्वैध शासन प्रणाली को समाप्त कर दिया गया।
- ‘कोर्ट ऑफ़ डायरेकटर्स’ तथा बोर्ड ऑफ़ कंट्रोलर्स को समाप्त कर ‘भारत सचिव’ नामक पद को सृजित किया गया।
भारत शासन अधिनियम -1861
- गवर्नर जनरल की शक्तियों का विस्तार किया गया; उसे अध्यादेश पारित करने के शक्तियां प्राप्त हो गई।
- गवर्नर जनरल को बंगाल, उत्तर -पश्चमी सीमा प्रान्त और पंजाब में विधान परिषद् स्थापित करने की शक्ति प्रदन्य की गई।
- विधान परिषद द्वारा पारित विधियाँ गवर्नर जनरल की स्वीकृति के बाद ही प्रवर्तनीय थी
- पहली बार भारतीयों को विधायी कार्य के साथ जोड़ा गया।
भारत शासन अधिनियम -1892
- केन्द्रीय तथा प्रांतीय विधान परिषदों में निर्वाचन की व्यवस्था की गई|परिषद् के भारतीय सदस्यों को वार्षिक बजट पर बहस करने और सरकार से प्रश्न पूछने का अधिकार दिया गया।
- केन्द्रीय विधान परिषद् में न्यूनतम 10 तथा अधिकतम सदस्य संख्या 16 निर्धारित की गई।
भारत शासन अधिनियम -1909
- केन्द्रीय विधान सभा में अतिरिक्त सदस्यों की संख्या 16 से बढ़ाकर 60 कर दी गई।इसमें 32 गैर सरकारी सदस्यों में से 27 सदस्य निर्वाचित होते थे, जिनमें से 15 सदस्य मनोनीत होते थे।
- मुस्लिम समुदाय के लिए पहली बार पृथक प्रतिनिधित्व की व्यवस्था की गई।इसी कारण से लार्ड मिन्टो को सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व का पिता कहा जाता हैं।
- पहली बार किसी भारतीय को वायसराय और गवर्नर की कार्यपरिषद के साथ एसोसिएशन बनाने का प्रावधान किया गया।
भारत शासन अधिनियम -1919
- प्रान्तों में द्वैध शासन की शुरुआत।
- केंद्र में दो सदनीय प्रणाली की शुरुआत हुई|जिसके अंतर्गत प्रथम राज्य परिषद् तथा दूसरी केन्द्रीय विधान सभा स्थापित की गई। राज्य परिषद् के सदस्यों की संख्या 60 कार्यकाल 5 वर्ष तथा केन्द्रीय विधान सभा के सदस्यों की संख्या 134(144) कार्यकाल 3 वर्ष निर्धारित किया गया।
- इस अधिनियम को ‘मांटेग्यू चेम्स फोर्ड सुधार’ भी कहा जाता हैं।
- मांटेग्यू चेम्स फोर्ड सुधार द्वारा भारत में पहली बार महिलाओं को वोट का अधिकार मिला।
- लोक सेवा आयोग का गठन किया गया।
- भारत के लिए एक उच्चायुक्त की नियुक्ति की गई,जो यूरोप में भारतीय व्यापार की देखभाल करता था।
- एक नरेश मंडल की स्थापना की गई जो देशी नरेशों के सामान्य हितों पर विचार करता था।
भारत शासन अधिनियम -1935
- भारत में एक संघीय न्यायालय की स्थापना की गई जो दिल्ली में स्थित था। इसके विरुद्ध अपील प्रिवी कौंसिल (लन्दन ) में की जा सकती थी।
- प्रान्तों के द्वैध शासन व्यवस्था को समाप्त कर उन्हें एक स्वशासित संवैधानिक आधार प्रदान किया गया।
- केंद्र में द्वैध शासन व्यवस्था शासन प्रणाली का शुभारम्भ किया गया।
- ब्रिटिश संसद को सर्वोच्च माना गया।
- न केवल संघीय लोक सेवा आयोग की स्थापना की गई बल्कि प्रांतीय सेवा आयोग और दो या दो से अधिक राज्यों के लिए संयुक्त सेवा आयोग की स्थापना की गई।
- दलित, महिलाओं और मजदूर वर्ग के लिए अलग से निर्वाचन की व्यवस्था की गई।
- इसके अंतर्गत देश की मुद्रा और साख पर नियन्त्रण रखने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना की गई।