राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति

President and Vice-President of India hindi राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति

राष्ट्रपति

  • भारतीय संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित हैं।
  • भारत में संसदीय व्यवस्था हैं जिसमें राष्ट्रपति को नाममात्र की कार्यपालिका है जबकि वास्तविक कार्यपालिका प्रधानमंत्री तथा उसका मंत्रिमंडल हैं।
  • भारत का राष्ट्रपति भारत का प्रथम नागरिक कहलाता हैं।
  • भारत का कोई भी व्यक्ति जो राष्ट्रपति बनने की निर्धारित योग्यता रखता हो भारत का राष्ट्रपति बन सकता।
  • राष्ट्रपति पद की योग्यताएं –
  1. भारत का नागरिक हो और 35 वर्ष की आयु प्राप्त कर चुका हो।
  2. लोक सभा सदस्य चुने जाने की योग्यता रखता हो।
  3. किसी सरकारी लाभ के पद पर न हो।
  • राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष होता है। इसलिए कार्यकाल पूरा होने से पूर्व या 6 माह के अन्दर राष्ट्रपति का चुनाव संपन्न हो जाना चाहिए।
  • राष्ट्रपति को निर्वाचन हेतु 50 प्रस्तावक तथा 50 अनुमोदक की आवश्यकता होती हैं।
  • कोई भी व्यक्ति कितनी ही बार राष्ट्रपति बन सकता है इसके बारे में संविधान में कुछ भी स्पष्ट नहीं हैं।
  • भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली की ‘ एकल संक्रमण पद्धति’ द्वारा होता हैं|राष्ट्रपति का चुनाव जनता द्वारा न होकर एक निर्वाचक मंडल द्वारा होता हैं।
  • राष्ट्रपति किसी भी सदन का सदस्य नही होता हैं।
  • राष्ट्रपति 5 वर्ष से पूर्व स्वं त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को देकर पद से हट सकता हैं। या उस पर महाभियोग लगाकर और सिद्ध करके उसे हटाया जा सकता हैं।
  • राष्ट्रपति पर महाभियोग एक सदन द्वारा लगाया जाता हैं तथा दूसरा सदन उसका अन्वेषण करता हैं।
  • राष्ट्रपति को महाभियोग के अन्वेषण के समय स्वम उपस्थित होने तथा उसका अपना पक्ष प्रस्तुत करने का अधिकार हैं।
  • राष्ट्रपति की उपलब्धियां उसकी पदावधि के समय कम नहीं की जा सकती।
  • यदि किसी कारण से राष्ट्रपति के समयावधि पूर्ण होने से पूर्व चुनाव नही हो पता तो नये राष्ट्रपति के चुनाव होने तक राष्ट्रपति ही पद पर बना रहेगा| उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य नही करता।
  • यदि राष्ट्रपति की मृत्यु हो जाती हैं और राष्ट्रपति पद रिक्त हो जाता हैं तो उपराष्ट्रपति नये राष्ट्रपति के चुनाव होने तक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता रहेगा।
  • यदि उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करने में असमर्थ है तो उच्चतम न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा और यदि वो भी अनुपस्थित हैं तो उच्चतम न्यायालय का अन्य वरिष्ठ न्यायधीश राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा।
  • राष्ट्रपति का वेतन 150000 रूपये मासिक हैं।
  • राष्ट्रपति के त्यागपत्र की सूचना उपराष्ट्रपति लोकसभा अध्यक्ष को देता हैं।
  • राष्ट्रपति कार्यपालिका का वास्तविक प्रधान न होकर संवैधानिक प्रधान होता है।
  • राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और उसकी मंत्रिपरिषद की सहायता से कार्यपालिका शक्ति का प्रयोग करता हैं।
  • 42 वें संविधान संशोधन अधिनियम के द्वारा राष्ट्रपति को मंत्रिपरिषद की सलाह को मानने के लिए बाध्य कर दिया गया हैं।
  • 44 वें संविधान संशोधन द्वारा राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह को केवल एक बार पुनर्विचार के लिए  वापस भेज सकता है। यदि इसके बाद भी मंत्रिपरिषद अपनी बात पर अडिग है तो राष्ट्रपति उनकी सलाह को मानने के लिए बाध्य हैं।

राष्ट्रपति के अधिकार एवं कर्तव्य :

  • राष्ट्रपति को निम्न नियुक्तियां करने का अधिकार प्राप्त हैं- प्रधानमंत्री, प्रधानमंत्री की सलाह पर मंत्रिपरिषद, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश, नियंत्रक महालेखा परीक्षक, महान्यायवादी, मुख्य चुनाव आयुक्त, राज्यों के राज्यपाल, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, भाषा आयोग के सदस्य, पिछड़ा वर्ग आयोग के सदस्य, अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य, वित्त आयोग के सदस्य, भारत के राजदूत आदि।
  •  राष्ट्रपति संसद का एक अभिन्न अंग होने के कारण उसे अनेक विधायी शक्तियां प्राप्त हैं।
  1. संसद के एक सदन या दोनों सदनों में एक साथ अभिभाषण करने की शक्ति।
  2. संसद के सत्र को आहूत करने,सत्रावसान करने तथा लोकसभा भंग करने सम्बन्धी अधिकार।
  3. संसद द्वारा पारित विधेयक राष्ट्रपति के अनुमोदन के उपरांत ही कानून बनता हैं।
  4. लोकसभा के प्रत्येक निर्वाचन के पश्चात प्रथम सत्र के प्रारंभ में तथा प्रत्येक सत्र के आरम्भ में सम्मलित रूप में संसद में प्रारंभिक अभिभाषण करता हैं।
  • संसद में निम्न विधेयकों को पेश करने से पूर्व राष्ट्रपति के पूर्व सहमति आवश्यक हैं।
  1. धन विधेयक 
  2. संचित विधि में व्यय करने वाले विधेयक
  3. नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्य के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन सम्बन्धी विधेयक।
  4. कराधान पर प्रभाव डालने वाले विधेयक
  5. राज्यों के बीच व्यापार, वाणिज्य और समागम पर निबंधन लगाने वाले विधेयक
  • किसी व्यक्ति को दोषी ठहराए जाने पर राष्ट्रपति को उसके दंड को कम करने या क्षमा करने का पूर्ण अधिकार हैं।
  • राष्ट्रपति लोक सभा में एंग्लो -इंडियन समुदाय के दो व्यक्तियों को तथा राज्य सभा में कला साहित्य पत्रकारिता या समाज सेवा ने अनुभव रखने वाले या दक्ष 12 व्यक्तियों को राज्य सभा में नामजद कर सकता हैं।
  • संसद के स्थगन के समय राष्ट्रपति अनुच्छेद 123 के तहत अध्यादेश जारी कर सकता हैं, जिसका प्रभाव संसद के अधिनियम के सामान होता हैं इसका प्रभाव संसद सत्र के शुरू होने के 6 सप्ताह तक रहता हैं।
  • राष्ट्रपति राज्य सूची के किसी विषय पर अध्यादेश जारी नहीं कर सकता और जब दोनों सत्र चल रहे हो तो भी राष्ट्रपति अध्यादेश जारी नहीं कर सकता।
  • सैन्य बलों की सर्वोच्च शक्ति राष्ट्रपति में सन्निहित होती हैं, किन्तु इसका प्रयोग विधि द्वारा नियमित होता है।
  • राष्ट्रपति विदेशों के लिए राजदूतों की नियुक्ति करता हैं तथा भारत में विदेशों के राजदूतों की नियुक्ति का अनुमोदन करता हैं।
  • दूसरे देशों के साथ कोई भी संधि या समझौता राष्ट्रपति के नाम से ही किया जाता हैं।
  • राष्ट्रपति किसी सार्वजानिक महत्व के प्रश्न पर उच्चतम न्यायालय (अनुच्छेद 143) के अधीन परामर्श ले सकता हैं पर उसे मानने के लिए बाध्य नहीं हैं।

राष्ट्रपति की वीटो शक्तियां

  • भारत के राष्ट्रपति को तीन प्रकार की वीटो शक्तियां प्राप्त हैं।
  • निरपेक्ष वीटो (absolute veto)- इसमें राष्ट्रपति किसी विधेयक पर अपनी अनुमति नहीं देता बल्कि उसे सुरक्षित रखता हैं।
  • निलंबनकारी वीटो (Suspension veto)- इसमें राष्ट्रपति किसी विधेयक को संसद के पास पुनर्विचार हेतु भेज सकता हैं।
  • पॉकेट  वीटो (Pocket वीटो) – इसमें राष्ट्रपति किसी विधेयक को अनिश्चित काल के लिए अपने पास सुरक्षित रख सकता हैं अर्थात इस वीटो में राष्ट्रपति न तो किसी विधेयक पर अपनी अनुमति देता है और न ही अनुमति देने से इंकार करता हैं।
  • पॉकेट वीटो का प्रयोग सर्वप्रथम राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने भारत डाक (संशोधन)विधेयक, 1986  में किया था।

राष्ट्रपति की आपातकाल शक्तियां

  • आपातकाल से सम्बंधित उपबंध भारतीय संविधान के भाग स0 -18 के अनुच्छेद 252 से 360 के अंतर्गत मिलता हैं। मंत्रिपरिषद के परामर्श से राष्ट्रपति तीन प्रकार के आपात लागू कर सकता हैं।
  1. युद्ध या बाह्य आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह होने पर – अनुच्छेद 352 
  2. राज्यों में संविधानिक तंत्र विफल हो जाने पर – अनुच्छेद 356
  3. वित्तीय आपात (न्यूनतम अवधि – दो माह )-  अनुच्छेद 360

उपराष्ट्रपति

  • उपराष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष रूप से आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमण मत प्रणाली द्वारा होता हैं।
  • उपराष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल द्वारा होता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के सदस्य होते हैं।
  • उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए आयु 35 वर्ष होना आवश्यक है।
  • उपराष्ट्रपति में राज्य सभा सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता होनी चाहिए।
  • उपराष्ट्रपति के चुनाव के लिए संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक होना आवश्यक नहीं हैं।
  • उपराष्ट्रपति का कार्यकाल भी 5 वर्ष होता हैं।
  • उपराष्ट्रपति किसी भी सदन का सदस्य नहीं होता है।
  • उपराष्ट्रपति 5 वर्ष से पूर्व स्वयं अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को देकर अपना पद छोड़ सकता हैं। तथा उपराष्ट्रपति को 5 वर्ष पूर्व संविधान का उल्लंघन के आरोप में हटाया जा सकता है।
  • यदि राज्य सभा  उपराष्ट्रपति को हटाने का संकल्प अपने 2/3 सदस्यों से पारित कर दे और लोक सभा उससे सहमत हो तो उपराष्ट्रपति को उसके पद से 5 वर्ष से पूर्व भी हटाया जा सकता हैं।
  • उपराष्ट्रपति पर महाभियोग लगाने की आवश्यकता नहीं हैं।
  • यदि उपराष्ट्रपति बीमारी या अन्य कारण से कार्य करने में असमर्थ है तो उसकी जगह कोई भी व्यक्ति या पदाधिकारी उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य नहीं कर सकता।
  • उपराष्ट्रपति राज्य सभा का पदेंन सभापति होता हैं। सभापति की अनुपास्थिति में उपसभापति सभापति के रूप में कार्य करता है।
  • उपराष्ट्रपति यदि राज्य सभा के सभापति के रूप में कार्य कर रहा हो तो उसे सभापति पद के ही वेतन भत्ते मिलेंगे। उपराष्ट्रपति का कार्य करते समय उपराष्ट्रपति पद के वेतन और भत्ते मिलेंगे।
  • उपराष्ट्रपति एक समय में एक पद पर कार्य कर सकता हैं।
  • राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन के सम्बन्ध में किसी भी विवाद में उसका निर्धारण उच्चतम न्यायालय करता है।
  • यदि उच्चतम न्यायलय ने राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन को अवैध घोषित कर दिया है तो  राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पूर्व में किये गए कार्य वैध होगें।
  • विवादों के अतिरिक्त राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के निर्वाचन  से सम्बंधित विषयों के लिए संसद कानून बना सकती हैं।

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