ब्रिटिश शासन की भू -राजस्व नीतियाँ
ब्रिटिश भारत में तीन तरह के भूराजस्व नीतियां प्रचलित थी जो उन्होंने अपनी सुविधा अनुसार अलग -अलग स्थानों पर लागू की थी। ये भूराजस्व बदोबस्त निम्न प्रकार हैं-
स्थाई बंदोबस्त
- इस व्यवस्था में किसानों के भूमि संबंथी अधिकार समाप्त कर जमीदारों को भूमि का मालिक बनाया गया।
- इसे इस्तमरारी , चिरस्थाई या जमींदारी बंदोबस्त भी कहा जाता हैं।
- इस व्यवस्था को 1793 में लार्ड कार्नवालिस द्वारा बंगाल, बिहार और उड़ीसा में शुरू किया गया था। इस व्यवस्था से जानशोर एवं जेम्स ग्रांड भी जुड़े हुए थे।
रैय्यतवाडी व्यवस्था
- इसके अंतर्गत प्रत्येक जमीन धारक को भू-स्वामी स्वीकार करके उसके साथ लगान की शर्ते निर्धारित की जाती थी।
- यह व्यवस्था मद्रास और बम्बई में लागू की गई।
- इसके जन्मदाता थामस मुनरों एवं कैप्टन रीड थे।
महालवाडी बंदोबस्त
- इस व्यवस्था के अंतर्गत प्रत्येक महाल (जागीर या गाँव) के अनुसार राजस्व निर्धारित कर दिया जाता था।
- यह व्यवस्था आगरा, अवध, मध्य प्रान्त, संयुक्त प्रान्त, पंजाब व दक्कन के कुछ जिले शामिल थे।
- इस बंदोबस्त के जन्मदाता हाल मैकेंजी थे।