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आज की हमारी यह पोस्ट Motion of the earth in hindi |पृथ्वी की गतियां से सन्बन्धित है, जो कि आपको आने वाले सभी प्रकार के Competitive Exams में बहुत काम आयेगी !
Motion of the earth in hindi |पृथ्वी की गतियां
पृथ्वी सौरमंडल का एक ग्रह हैं। इसकी दो गतियां हैं –
- घूर्णन (Rotation) अथवा दैनिक गति
- परिक्रमण (Revolution) अथवा वार्षिक गति
1.घूर्णन अथवा दैनिक गति:
पृथ्वी सदैव अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व की ओर एक लट्टू के सामान घूमती हैं। जिसे पृथ्वी का घूर्णन या परिभ्रमण कहते हैं। परिभ्रमण के कारण ही दिन रात होते हैं। अतः इस गति को दैनिक गति भी कहते हैं।
पृथ्वी को प्रकाश व ऊष्मा सूर्य से मिलती हैं और जब पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमती हैं तो उसका एक भाग सूर्य के प्रकाश में रहता हैं और एक भाग अँधेरे में रहता हैं। उससे पृथ्वी पर प्रकाश वाले भाग में दिन और अँधेरे वाले भाग में रात होती हैं।
- पृथ्वी अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व दिशा में 23 घंटे 56 मिनट और 4 सेकंड में घूमती हैं।
2.परिक्रमण | Revolution
पृथ्वी के अपने अक्ष पर घूमते हुए सूर्य के चारों ओर एक अंडाकार मार्ग पर 365 दिन तथा 6 घंटे में एक चक्कर/ परिक्रमा लगाती हैं। सुविधा के लिए 1 वर्ष में 365 दिन गिनते हैं और 6 घंटे का समय छोड़ देते हैं। इस प्रकार 4 वर्षो में 24 घंटे अथवा एक दिन का अंतर हो जाता हैं। इसीलिए प्रत्येक चौथे वर्ष में एक दिन जोड़ देते हैं, और इस प्रकार वह वर्ष 366 दिन का होता है। जिसे अधिवर्ष कहा जाता हैं।
- उस अतिरिक्त दिन को फरवरी माह में जोड़ दिया जाता हैं और उस वर्ष फरवरी माह 29 दिन का होता हैं।
- सूर्य अपने परिक्रमण पथ में पृथ्वी सूर्य के चारों ओर 29.8 किमी /से. के वेग से चक्कर लगाती हैं।
- पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा लगाने के कारण ही ऋतु परिवर्तन होता हैं।
- पृथ्वी वास्तव में सूर्य का चक्कर 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट और 48 सेकण्ड में लगाती हैं।
उपसौर (Perihelion):
पृथ्वी जब दीर्घवृताकार कक्षा में चक्कर लगाते हुए सूर्य के निकट होती हैं तो उपसौर कहलाता हैं। ऐसी स्थिति 3 जनवरी को होती हैं।
अपसौर (Aphelion) :
पृथ्वी जब दीर्घवृताकार कक्षा में चक्कर लगाते हुए सूर्य से अधिकतम दूरी पर होती हैं तब इसे अपसौर कहते हैं। ऐसी स्थिति 4 जुलाई को होती हैं।
दिन व रात का छोटा – बड़ा होना:
21 मार्च से 23 सितम्बर की अवधि में सूर्य उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य का प्रकाश 12 घंटे से अधिक होता हैं। जिससे यहाँ दिन बड़े और रात छोटी होती हैं।
- उत्तरी ध्रुव पर दिन की अवधि 6 महीने की होती हैं।
23 सितंबर से 21 मार्च तक सूर्य दक्षिणी गोलार्द्ध में होता हैं। इसलिए यहाँ दिन की अवधि 12 घंटे से अधिक और रात्रि छोटी होती हैं।
- इस अवधि में दक्षिणी ध्रुव पर दिन की अवधि 6 महीने की होती हैं।
ऋतु परिवर्तन (Seasonal Changes):
पृथ्वी सदैव अपने अक्ष पर घूमते हुए सूर्य की परिक्रमा लगाती हैं। जिससे पृथ्वी की सूर्य के सापेक्ष स्थितियां बदलती रहती हैं। पृथ्वी के इस परिक्रमण में 4 प्रमुख अवस्थाएँ आती हैं। इन अवस्थाओं को ही ऋतु परिवर्तन कहते हैं।
21 जून की स्थिति :
इस स्थिति में सूर्य कर्क रेखा पर लंम्बवत होता हैं और इस स्थिति को कर्क संक्रांति कहते हैं।इसे ग्रीष्म अयनांत (summer Solistics) 21 मार्च के बाद सूर्य उत्तरायण होने लगता हैं, जिससे उत्तरी गोलार्द्ध में दिन की अवधि बढ़ने लगती हैं और यहाँ पर ग्रीष्म ऋतु आने लगती हैं।
- 21 जून को उत्तरी गोलार्द्ध में दिन की लम्बाई सबसे अधिक रहती हैं तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में शीत ऋतु होती हैं।
- 21 जून के बाद 23 सितम्बर तक सूर्य पुन: विषुवत रेखा की ओऱ जाने लगता हैं जिसके परिणामस्वरूप उत्तरी गोलार्द्ध में गर्मी धीरे -धीरे कम होने लगती हैं।
22 दिसम्बर की स्थिति:
इस स्थिति में सूर्य मकर रेखा के लंबवत चमकता हैं इसी लिए इसे मकर संक्रांति या शीत अयनांत (Winter Solistice) भी कहते हैं। इस स्थिति में दक्षिणी गोलार्द्ध में दिन की अवधि लम्बी तथा रात्रि की अवधि छोटी होने लगती हैं।
- 22 दिसंबर के बाद सूर्य पुन: विषुवत रेखा की ओर जाने लगता हैं जिससे दक्षिणी गोलार्द्ध में ग्रीष्म ऋतु धीरे -धीरे समाप्त होने लगती हैं।
21 मार्च और 23 सितंबर की स्थितियां:
इन दोनों स्थितियों में सूर्य विषुवत रेखा के लंबवत चमकता हैं। इसलिए इस समय सभी जगह दिन और रात बराबर होते हैं। इन दोनों स्थितियों को विषुव (Equinox) कहा जाता हैं।
- 21 मार्च की स्थिति को वसंत विषुव (Spring Equinox) कहा जाता हैं।
- 23 सितंबर को शरद विषुव (Autumn Equinox) कहा जाता हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य:
सबसे पहले सूर्योदय और सबसे बाद में सूर्यास्त |
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सबसे बड़ा दिन और सबसे बड़ी रात्रि |
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अंटाकर्टिका |
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