भारतीय स्वतंत्रता संघर्ष का तृतीय चरण (1919 -47)
- स्वतंत्रता संघर्ष का तीसरा चरण गाँधी युग के नाम से भी जाना जाता हैं।
- मोहनदास करमचंद गाँधी का जन्म 2 अक्तूबर 1869 ई. को पोरबंदर में हुआ। इनके पिता का करमचंद गाँधी तथा माता का नाम पुतलीबाई था।
- गाँधी जी का विवाह 1883 ई. में कस्तूरबा से हुआ इनके चार पुत्र थे – हरिलाल, रामदास, मणिलाल और देवदास
- महात्मा गाँधी ने 1889 से 1891 तक लंदन में रहकर कानून की पढाई की थी।
- 1892 में दक्षिण अफ्रीका के एक व्यापारी अब्दुल्ला के मुकदमे की पैरवी के लिए महात्मा गाँधी दक्षिण अफ्रीका गए।
- गाँधी जी के दक्षिण अफ्रीका में महत्वपूर्ण कार्य
1894 | नटाल इंडियन कांग्रेस की स्थापना |
1903 | साप्ताहिक पत्र इंडियन ओपिनियन का प्रकाशन |
1904 | फीनिक्स आश्रम की स्थापना |
1910 | जोहान्सबर्ग में टालस्टाय फार्म की स्थापना |
- 9 जनवरी, 1915 को गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से वापस भारत आये।
- फरवरी- मार्च 1915 में गाँधी जी रवीद्रनाथ टैगोर के आश्रम शांति निकेतन में रहे।
- यही पर रवीन्द्रनाथ टैगोर ने गाँधी जी को महात्मा तथा गाँधी जी ने रवीन्द्रनाथ को गुरुदेव की उपाधि दी।
- इसके बाद गाँधी जी ने गोपाल कृष्ण गोखले को अपना राजनीतिक गुरु बनाया
- 9 जनवरी 1915 को ब्रिटिश सरकार ने गाँधी जी को “केसर-ए- हिन्द” की उपाधि प्रदान की।
- 1917-18 की बीच गाँधी जी ने तीन महत्वपूर्ण आंदोलनों में भाग लिया।
- चम्पारण सत्याग्रह(1917): यहाँ के किसानों को तीन कठिया पद्धति के अनुसार 3/20 भाग पर नील की खेती करने के लिए बाध्य थे। जिसे उन्हें अंग्रेजों द्वारा निर्धारित मूल्य पर बेचना पड़ता था। इस आन्दोलन का नेतृत्व गाँधी जी ने राजकुमार शुक्ल के कहने पर किया और किसानों की समस्याओं को कम किया।
- अहमदाबाद मिल मजदूर संघर्ष(1918): मिल मालिकों और मजदूरों के बीच प्लेग बोनस को लेकर विवाद था। जिसे गाँधी जी के हस्तक्षेप से मिल मालिकों ने 35% बोनस देना स्वीकार कर लिया।
- खेड़ा सत्याग्रह(1918): खेड़ा के किसान फसल नष्ट हो जाने के कारण लगान स्थगित कराना चाहते थे। पर सरकार इसके लिए तैयार नहीं थी। तब गाँधी जी, सरदार पटेल, बल्लभ भाई पटेल और इंदु भाई याग्निक के खेड़ा पहुंचकर किसानों को समर्थन देने पर; सरकार को झुकना पड़ा ।
रौलेक्ट एक्ट(1919)
- इस एक्ट को सरकार ने बढ़ती हुई क्रन्तिकारी गतिविधियों को रोकने के लिए बनाया था।
- इस एक्ट के अनुसार सरकार बिना मुकदमा चलाये किसी को भी जेल में डाल सकती थी।
- इस कानून को अपील, दलील, वकील विहीन कहा जाता था।
- दिल्ली में इसके विरुद्ध स्वामी श्रद्धानंद ने संघर्ष किया था।
जलियांवाला बाग हत्याकांड (1919)
- 13 अप्रैल 1919 को बैशाखी के दिन डॉ सैफुद्दीन किचलू तथा सत्यपाल की गिरफ्तारी के विरोध में एक शांतिपूर्ण सभा का आयोजन किया गया था।
- सभा स्थल पर जनरल डायर ने बिना पूर्व सूचना के भीड़ पर गोली चलवा दी; जिससे लगभग 1000 लोग मारे गए।
- सरकार ने इस हत्याकांड की जाँच के लिए “हंटर आयोग” का गठन किया।
- इस हत्याकांड के विरोध में रविन्द्र्नाथ टैगोर ने नाइट की उपाधि वापस कर दी तथा वायसराय की कार्यकारिणी की सदस्य शंकर नायर ने त्याग पत्र दे दिया।
असहयोग आन्दोलम(1920-22)
- असहयोग आन्दोलन चलाने का प्रस्ताव महत्मा गाँधी ने लाला लाजपत राय की अध्यक्षता में होने वाले एक विशेष सम्मलेन (कलकत्ता) में पेश किया था।
- 1920 के नागपुर अधिवेशन(अध्यक्ष- विजय राघवाचार्य) में यह प्रस्ताव पास हो गया इस अधिवेशन में प्रस्ताव सी.आर.दास ने पेश किया।
- 1 अगस्त 1920 को महत्मा गाँधी ने इस आन्दोलन की शुरुवात की।
- इसी दिन तिलक की मृत्यु हो गई तिलक स्मारक के लिए तिलक स्वराज्य कोष की स्थापना की गई।
- इस आन्दोलन के दौरान महात्मा गाँधी जी ने केशर -ए- हिन्द, जूल युद्ध पदक, बोअर पदक ब्रिटिश सरकार को वापस कर दिए।
- जमनालाल बजाज ने राय बहादुर की उपाधि वापस कर दी।
- विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई जिसे रवीन्द्रनाथ टैगोर ने निष्ठुर बर्बादी की संज्ञा दी।
चोरी-चौरा कांड(1922)
- गोरखपुर के चोरी-चौरा नामक स्थान पर 5 फरवरी, 1922 को आन्दोलनकारियों ने एक थाने के अंदर 22 पुलिस जवानों को जिन्दा जला दिया।
- इस घटना से गांधीजी बहुत दुखी हुए। उन्होंने असहयोग आन्दोलन के गलत दिशा में जाने के कारण 12 फरवरी,1922 को बारदोली में इस आन्दोलन को वापस लेने का निर्णय लिया।
- 10 मार्च 1922 को असंतोष फ़ैलाने के जुर्म में गाँधी जी को 6 वर्ष की सजा सुनाई गई।
स्वराज्य पार्टी(1923)
- गाँधी जी द्वारा असहयोग आन्दोलन वापस लेने के बाद एक नवीन विचारधारा का जन्म होने लगा जो विधानमंडल में प्रवेश कर स्वतंत्रता आन्दोलन को आगे बढ़ाना चाहते थे। इस विचार धारा के सूत्रधार मोतीलाल नेहरु और सी. आर. दास थे।
- इस विचार धारा को परिवर्तन वादी कहा गया जबकि दूसरी ओर अपरिवर्तन वादी। जिनमें सी. राजगोपालाचारी, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, बल्लभ भाई पटेल आदि थे जो विधान मंडल में प्रवेश नही चाहते थे।
- 1922 के कांग्रेस के गया अधिवेशन की अध्यक्षता सी. आर. दास ने की थी। उसमें सी. आर. दास और मोतीलाल नेहरु ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया।
- इन्होने मार्च 1923 में इलाहबाद में कांग्रेस खिलाफत स्वराज्य पार्टी की स्थापना की। जिसके अध्यक्ष सी. आर. दास तथा महासचिव मोतीलाल नेहरु बने।
- उसी वर्ष नवम्बर 1923 में होने वाले चुनावों में स्वाराजियों ने केन्द्रीय विधान मंडल में 101 सीटों में से 42 सीटें जीती।
- प्रांतीय विधान मंडल में बंगाल में स्पष्ट रूप से बम्बई और उत्तर प्रदेश में संतोषजनक सफलता प्राप्त की।
- 1925 में विट्ठल भाई पटेल का केन्द्रीय विधानमंडल का अध्यक्ष बनाये जाना स्वराजियों की एक अन्य बड़ी सफलता थी।
- 16 जून 1925 में सी. आर. दास की मृत्यु के बाद स्वराज्य पार्टी कमजोर होने लगी।
- साइमन कमीशन(1927):इस कमीशन का गठन 8 नवम्बर 1927 को जान साइमन की अध्यक्षता में किया गया था।
- इसे श्वेत कमीशन भी कहा जाता था क्योकि इसके सभी सदस्य ब्रिटिश थे।इसने अपनी रिपोर्ट 27 मई 1930 को पेश की।
नेहरु रिपोर्ट(1928)
- भारत सचिव लार्ड बर्केनहेड ने भारतीयों को चुनौती दी कि वे ऐसा संविधान बनाकर दिखाएं जो सभी दलों को मंजूर हो।
- उनकी इस चुनौती को स्वीकार कर मोतीलाल नेहरु की अध्यक्षता में 9 सदस्यीय एक समिति बनाई गई। जिसने अपनी रिपोर्ट 10 अगस्त 1928 को पेश की|
- इस रिपोर्ट में कुल 19 मूल अधिकारों को सम्मलित किया गया था।
लाहौर अधिवेशन(1929)
- लाहौर अधिवेशन में पूर्ण स्वराज्य का प्रस्ताव पारित किया गया।
- लाहौर अधिवेशन के दौरान जवाहरलाल नेहरु ने रावी नदी के तट पर 31 दिसंबर, 1929 को तिरंगा झंडा फहराया।
- 26 जनवरी 1930 को आधुनिक भारत के इतिहास में प्रथम स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया गया।
सविनय अवज्ञा आन्दोलन(1930)
- महात्मा गाँधी ने इस इस आन्दोलन की शुरुवात फरवरी 1930 में साबरमती के आश्रम से की।
- गाँधी जी ने अपने पत्र यंग इंडिया के माध्यम से वायसराय के समक्ष 11 सूत्री मांगे सोंपी गई
- दाड़ी यात्रा: महात्मा गाँधी ने 11 मार्च, 1930 को साबरमती आश्रम से अपने 78 अनुयायियों के साथ दांडी मार्च शुरू किया जो 6 अप्रैल 1930 को पूर्ण हुआ। यह यात्रा 345 किमी की थी। दांडी में गाँधी जी ने नमक कानून तोडा।
- इसके बाद समस्त भारत में यह आन्दोलन शुरू हो गया।
- उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रान्त में इस आन्दोलन का नेतृत्व खान अब्दुल गफ्फार खान ने किया।जिन्हें सीमांत गाँधी के नाम से भी जाना जाता था।इनके नेतृत्व में ही “खुदाई खिदमतगार” या “लाल कुर्ती आन्दोलन” चलाया गया।इन्होने पख्तून नामक पत्रिका का भी प्रकाशन किया।
- तमिलनाडु में सी. राजगोपालाचारी ने तिरुचिरापल्ली से वेदारण्यम तक नमक की यात्रा की।
- मणिपुर और नागालैंड में यदुनाथ नागा के नेतृत्व में “जियालरंग आन्दोलन” चलाया गया।जिसका बाद में रानी गिदालू ने नेतृत्व किया।
- 4 मई 1930 में गाँधी जी को गिरफ्तार कर यरवदा जेल भेज दिया।
- महात्मा गाँधी की गिरफ्तारी के बाद सरोजनी नायडू और इमाम साहब ने महाराष्ट्र के धरसाना के नमक के कारखाने पर धरना दिया। वहां पर पुलिस के अत्याचार को देखकर अमरीकी पत्रकार वेब मिलर ने कहा कि-” मैंने इतना अत्याचार कहीं नहीं देखा“
- इस आन्दोलन के समय ही बच्चों की “वानर सेना” तथा लडकियों की “मंजरी सेना” का गठन किया गया।
प्रथम गोलमेज सम्मलेन(12 नवम्बर 1930 से 19 जनवरी 1931 तक) |
इस सम्मलेन में भाग लेने के लिए भारत से 89 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल “वायसराय ऑफ़ इंडिया” नामक जहाज से भाग लेने लंदन गया। इस सम्मलेन का उद्घाटन जार्ज पंचम ने किया तथा इसकी अध्यक्षता रैम्जे मैकडोनाल्ड ने की।कांग्रेस ने इस सम्मलेन का पूर्ण बहिष्कार किया। |
गाँधी-इरविन समझौता(5 मार्च, 1931)
- यह समझौता “दिल्ली समझौते” के नाम से भी जाना जाता हैं।
- गाँधी- इरविन समझौता कराने में तेज बहादुर सप्रू , श्री निवास शास्त्री और एम. आर जयकर का महत्वपूर्ण योगदान हैं।
- इस समझौते के अंतर्गत भारतीयों को नमक बनाने का अधिकार मिल गया और सविनय अवज्ञा आन्दोलन स्थगित कर दिया गया।
- महात्मा गाँधी ने दूसरे गोलमेज सम्मलेन में भाग लेने का निर्णय लिया।
- कांग्रेस के करांची अधिवेशन में(अध्यक्ष -बल्लभ भाई पटेल) में गाँधी-इरविन समझौते को स्वीकार कर लिया गया।
- सरोजनी नायडू ने गाँधी तथा इरविन को दो महात्मा की संज्ञा दी।
द्वितीय गोलमेज सम्मलेन(07 सितम्बर 1931 से 1 दिसम्बर 1931 तक) |
इस सम्मेलन में महात्मा गाँधी ने कांग्रेस के एकमात्र प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। वे एस.एस. राजपूताना नामक जहाज से लंदन गये।यहाँ पर गाँधी जी ने किग्सेहाल में प्रवास किया।यह सम्मलेन साम्प्रदायिक समस्या पर विवाद के कारण पूर्णत: विफल रहा। |
द्वितीय सविनय अवज्ञा आन्दोलन
- दूसरे गोलमेज सम्मलेन से वापस आकर महात्मा गाँधी ने लार्ड वेलिंगटन से मिलने का प्रयास किया लेकिन वायसराय ने मिलने से इंकार कर दिया।
- 4 जनवरी 1932 को सविनय अवज्ञा आन्दोलन का दूसरा चरण शुरू हुआ। आन्दोलन शुरू होने के कुछ समय बाद ही कांग्रेस के बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
- इसके साथ ही कांग्रेस को गैर क़ानूनी संस्था घोषित कर दिया गया।
साम्प्रदायिक पंचाट(कम्युनल अवार्ड 1932)
16 अगस्त 1932 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री मैकडोनाल्ड ने साम्प्रदायिक पंचाट की घोषणा की।इसमें दलितों के लिए भी प्रथक निर्वाचक पद्धति लागू किया।
पूना समझौता (1932)
- महात्मा गाँधी इस समय यरवदा जेल में कैद थे। जेल में ही 20 सितम्बर 1932 को साम्प्रदायिक पंचाट के विरोध में आमरण अनशन शुरू कर दिया।
- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, राजगोपालाचारी, मदन मोहन मालवीय आदि के प्रयासों से महात्मा गाँधी और भीमराव आंबेडकर के बीच 26 सितम्बर 1932 को पूना समझौता हुआ।
- पूना समझौते के अनुसार प्रांतीय विधान मंडलों में दलित वर्ग के 71 सीटों के स्थान पर 147 सीटें आरक्षित की गई।
- केन्द्रीय विधान मंडलों में दलित वर्ग के लिए 18% सीटें आरक्षित की गई।
तृतीय गोलमेज सम्मलेन(17 नवम्बर 1932 से 24 दिसम्बर 1932 तक) |
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भारत सरकार अधिनियम (1935)
- इस अधिनियम में भारत में संघात्मक शासन का प्रावधान किया गया।
- भारत में यह अधिनियम अग्रेजों द्वारा किया गया अंतिम संवैधानिक प्रयास था।
1937 के प्रांतीय चुनाव
- भारत सरकार अधिनियम 1935 के अंतर्गत 1937 के प्रांतीय चुनाव हुए।
- इस चुनाव में कांग्रेस को संयुक्त प्रान्त, मध्य प्रान्त, बिहार, उड़ीसा और मद्रास में पूर्ण बहुमत प्राप्त हुआ।
- कांग्रेस बम्बई, असम तथा उत्तर- पश्चिमी प्रान्त में सबसे बड़े दल बनकर उभरी।
- पंजाब, बंगाल और सिंध में कांग्रेस को बहुमत नही मिला।
- बंगाल में कृषक पार्टी और मुस्लिम लीग की गठबंधन सरकार बनी।
- अक्टूबर 1939 को दुसरे विश्व युद्ध के कारण 28 माह से शासन के बाद कांग्रेस मंत्रिमंडल ने इस्तीफा दे दिया।
- इस त्याग पत्र के बाद अम्बेडकर और मुस्लिम लीग ने 22 दिसंबर 1939 को “मुक्ति दिवस” मनाया।
अगस्त प्रस्ताव(1940)
- कांग्रेस के 1940 के रामगढ़ अधिवेशन में कांग्रेस ने एक प्रस्ताव पारित किया कि यदि भारत सरकार एक अंतरिम राष्ट्रीय सरकार का गठन करें तो कांग्रेस दूसरे विश्व युद्ध में ब्रिटेन का समर्थन करेगी।
- 8 अगस्त 1940 को लार्ड लिनलिथगो ने इस प्रस्ताव के जवाब में भारत को डोमेनियन राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव रक्खा।
मुस्लिम लीग द्वारा पाकिस्तान की मांग
- पाकिस्तान की परिकल्पना सबसे पहले 28 जनवरी 1933 को “नाउ ऑर नेवर” नमक पत्र में एक मुस्लिम छात्र चौधरी रहमत अली ने रखी जो की कैब्रिज विश्वविद्यालय का छात्र था।
- मुस्लिम लीग के 1940 के लाहौर अधिवेशन में पहली बार पाकिस्तान के निर्माण का प्रस्ताव पारित हुआ।
- इस अधिवेशन की अध्यक्षता मुहम्मद अली जिन्ना ने की थी।
व्यक्तिगत सत्याग्रह (17 अक्टूबर, 1940) |
व्यक्तिगत सत्याग्रह महाराष्ट्र के “पवनार आश्रम” से शुरू हुआ था। गाँधी जी ने प्रथम सत्याग्रही के रूप में विनोवा भावे को तथा दूसरे सत्याग्रही के रूप में जवाहरलाल नेहरु को मनोनीत किया।इस आन्दोलन को दिल्ली चलो सत्याग्रह भी कहा जाता हैं। |
क्रिप्स प्रस्ताव(1942)
- 11 मार्च 1942 को स्टेनफर्ड क्रिप्स के नेतृत्व में ब्रिटिश प्रधानमंत्री चर्चिल ने एक मिशन भारत भेजने की घोषणा की।
- इस मिशन के प्रस्ताव के अनुसार विश्व युद्ध के बाद संविधान निर्माण परिषद बनाने तथा भारत को डोमेनियन राज्य का दर्जा देने की बात कही गई।
- गाँधी जी ने क्रिप्स प्रस्ताव को “पोस्ट डेटेड चेक” का नाम दिया।
- 11 अप्रैल 1942 को क्रिप्स प्रस्तावों को वापस ले लिया गया।
भारत छोड़ो आन्दोलन(1942)
- भारत छोड़ो आन्दोलन का प्रारूप मौलाना अबुल कलाम आजाद ने बनाया था।
- यह आन्दोलन 8-9 अगस्त, 1942 में शुरू होना था, परन्तु 9 अगस्त की सुबह ही गाँधी जी, नेहरु, पटेल, मौलाना आजाद और सरोजनी नायडू जैसे सभी बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया।
- गाँधी जी, कस्तूरबा गाँधी और सरोजनी नायडू को आगा खां पैलेस में रखा गया। जवाहर लाल नेहरु को अल्मोड़ा जेल में, राजेन्द्र प्रसाद को बांकीपुर जेल में और जयप्रकाश नारायण को हजारीबाग जेल में रखा गया।
- राम मनोहर लोहिया, अच्युत पटवर्धन, अरुणा आसफ अली, जयप्रकाश नारायण हजारी बाग जेल से फरार हो गए उन्होंने भूमिगत रहते हुए इस आन्दोलन का नेतृत्व किया।
- उषा मेहता ने 14 अगस्त 1942 को सर्वप्रथम बम्बई से रेडियो प्रकाशन का कार्य किया।
- गाँधी जी ने 10 फरवरी, 1943 को जेल में 21 दिनों का उपवास करने की घोषणा की।
- अमेरिकी पत्रकार लुई फिशर इस आन्दोलन में गाँधी जी के साथ रहे।
- 23 मार्च, 1943 को मुस्लिम लीग ने पाकिस्तान दिवस मनाने का निश्चय किया।
नौसेना विद्रोह(1946)
- एच.एम.आई.एस तलवार के भारतीय सैनिकों ने अंग्रेजो की भेदभाव वाली नीति के विरुद्ध 18 फरवरी 1946 को बम्बई में विद्रोह कर दिया। बल्लभभाई पटेल एवं जिन्ना ने इस विद्रोह को शांत कराया।
कैबिनेट मिशन योजना(24 मार्च, 1946)
- सर स्टेफर्ड क्रिप्स ने नेतृत्व में कैबिनेट मिशन 24 मार्च, 1946 को भारत आया। इस मिशन को गाँधी जी का समर्थन प्राप्त था।
- कैबिनेट मिशन योजना के अंतर्गत जुलाई 1946 को संविधान सभा का गठन किया गया।
- 16 अगस्त, 1946 को मुस्लिम लीग ने सीधी करवाई दिवस की शुरुवात की।
- 2 सितम्बर1946 को नेहरु की अध्यक्षता में अंतरिम सरकार का गठन किया गया।
एटली घोषणा पत्र (20 फरवरी, 1947)
- 20 फरवरी, 1947 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने हाउस ऑफ़ कामंस में यह घोषणा की कि अंग्रेज जून, 1948 से पहले भारतीयों को सत्ता सौप देंगे।
- लार्ड माउंटबेटन को भारत का नया वायसराय नियुक्त किया गया।
माउंटबेटन योजना ( 3 जून, 1947)
- इस योजना को डिकी बर्ड योजना भी कहते हैं।
- 24 मार्च 1947 को लार्ड माउंटबेटन को भारत के 34 वें और अंतिम गवर्नर जनरल बनकर भारत आये।
- माउंटबेटन ने 15 अगस्त 1947 को भारतीयों को सत्ता सौपने का दिन निर्धारित किया गया।
भारत स्वतंत्रता अधिनियम , 1947
- 18 जुलाई, 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम ब्रिटिश संसद द्वारा पारित किया गया।14 अगस्त, 1947 को पाकिस्तान और 15 अगस्त 1947 को भारत अस्तित्व में आया।
- कायदे आजम मोहम्मद अली जिन्ना पाकिस्तान के पहले गवर्नर जनरल बने तथा लियाकत अली पहले प्रधानमंत्री बने।
- माउंटबेटन स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल और जवाहर लाल नेहरु भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने।
- स्वतंत्र भारत के प्रथम भारतीय और अंतिम गवर्नर जनरल सी. राजगोपालाचारी बने।