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आज की हमारी यह पोस्ट Tide or Jwar Bhata in hindi | ज्वार भाटा से सन्बन्धित है, जो कि आपको आने वाले सभी प्रकार के Competitive Exams में बहुत काम आयेगी !
Tide or Jwar Bhata in hindi | ज्वार भाटा
Tide or Jwar Bhata in hindi.सूर्य और चन्द्रमा की आकर्षण शक्तियों के कारण सागरीय जल के ऊपर उठने तथा नीचे गिरने को ज्वार -भाटा कहा जाता हैं। इससे उत्पन्न तरंगो को ज्वारीय तरंगे कहा जाता हैं।
- सागरीय जल के ऊपर उठकर तट की ओर बढ़ने को ज्वार (Tide) तथा इस समय जल के उच्चतम तल को उच्च ज्वार (High Tide) कहते हैं।
- सागरीय जल के तट से टकराकर वापस लौटने को भाटा (Ebb) कहते हैं, तथा उससे निर्मित निम्न जल को निम्न ज्वार (Low Tide) कहते हैं।
- ज्वार -भाटा सूर्य व चन्द्रमा का गुरुत्वाकर्षण बल तथा पृथ्वी का अपकेंद्रीय बल के कारण आता हैं।
- गुरुत्वाकर्षण व अपकेंद्रीय बलों के प्रभाव के कारण प्रत्येक स्थान पर 12 घंटे में ज्वार आना चाहिए लेकिन यह चन्द्रमा के सापेक्ष पृथ्वी के गतिशील होने के कारण प्रतिदिन लगभग 26 मिनट की देरी से आता हैं।
ज्वार के प्रकार (Types of Tide):
ज्वार दो प्रकार के होते हैं –
- पूर्ण या दीर्घ ज्वार (Spring Tide)
- लघु ज्वार (Neap Tide)
पूर्ण या दीर्घ ज्वार (Spring Tide): |Tide or Jwar Bhata in hindi|
जब सूर्य, चन्द्रमा और पृथ्वी एक सीध में होते है तो सूर्य और चन्द्रमा की सम्मलित आकर्षण शक्ति के कारण सागरीय जल में दीर्घ ज्वार आता हैं।
यह दीर्घ ज्वार सामान्य ज्वार की तुलना में 20% अधिक होता हैं। इनका समय निश्चित होता हैं तथा ये प्रत्येक माह दो बार पूर्णमासी व अमावस्या को आते हैं। दीर्घ ज्वार के समय बहता की गहराई सर्वाधिक होती हैं।
- जब सूर्य और चन्द्रमा दोनों पृथ्वी के एक ओर होते हैं तो उस स्थिति को युति (Conjunction) अर्थात सूर्यग्रहण कहते हैं।
- जब सूर्य और चन्द्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती हैं तो उस स्थिति को वियुति (Opposition) या चंद्रग्रहण कहते हैं।
- जब सूर्य, चन्द्रमा और पृथ्वी समकोण की स्थिति में होते हैं तो उसे समकोणिक स्थिति (Quadrature) कहते हैं।
- युति के स्थिति में अमावस्या (New Moon) तथा वियुति की स्थिति में पूर्णमासी (Full moon) की होती हैं।
लघु ज्वार (Neap Tide):|Tide or Jwar Bhata in hindi|
जब सूर्य, चन्द्रमा और पृथ्वी एक दूसरे के समकोण की स्थिति में होते हैं तो सूर्य और चन्द्रमा का ज्वारोत्पादक बल एक दूसरे के विपरीत कार्य करता हैं। जिसके कारण सामान्य ज्वार से नीचा ज्वार आता हैं।
ऐसा लघु ज्वार प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष तथा कृष्ण पक्ष की सप्तमी और अष्टमी को आता हैं।
अप -भू ज्वार तथा उप -भू ज्वार (Apogean and Perigean Tide):
- जब चन्द्रमा और पृथ्वी एक सीध में हो और चन्द्रमा के केंद्र की दूरी पृथ्वी के केंद्र की दूरी से अधिकतम की स्थिति में हो तो वह स्थिति अप -भू स्थिति (Apogean) की होती हैं। इस स्थिति में ज्वारोत्पादक बल न्यूनतम होता हैं। जिस कारण लघु ज्वार उत्पन्न होते हैं जो कि सामान्य ज्वार से भी 20% छोटे होते हैं। इसे अप भू उच्च ज्वार कहते हैं।
- जब चन्द्रमा और पृथ्वी एक सीध में हो और चन्द्रमा के केंद्र की दूरी पृथ्वी के केंद्र की दूरी से न्यूनतम की स्थिति में हो तो वह स्थिति उप -भू स्थिति (Perigean) की होती हैं।इस स्थिति में ज्वारोत्पादक बल अधिकतम होता हैं। जिस कारण दीर्घ ज्वार उत्पन्न होते हैं जो कि सामान्य ज्वार से भी 20% बड़े होते हैं। उप भू उच्च ज्वार कहते हैं।
- जब दीर्घ ज्वार और उप भू उच्च ज्वार एक साथ आते हैं तो ज्वार की ऊंचाई असामान्य रूप से बढ़ जाती हैं।
- जब अप भू ज्वार व लघु ज्वार एक साथ आते हैं तो ज्वार एवं भाटा का तल अत्यंत रूप से कम हो जाता हैं।
- किसी भी स्थान पर एक दिन में आने वाले ज्वार तथा भाटा को दैनिक ज्वार -भाटा कहते हैं। यह ज्वार प्रतिदिन 52 मिनट के देरी से आता हैं। इसका कारण चन्द्रमा का झुकाव हैं।
- किसी स्थान पर यदि प्रतिदिन दो बार ज्वार आता है तो उसे अर्द्ध दैनिक ज्वार कहते हैं। इसमें प्रत्येक ज्वार 12 घंटे 26 मिनट बाद आता हैं।
- ज्वार नदियों में बड़े जलयानों के चलाने में सहायक होते हैं। हुगली और टेम्स नदियों की ज्वारीय धाराओं के कारण ही कोलकाता एवं लंदन महत्वपूर्ण बंदरगाह बन सके।
- विश्व का सबसे ऊँचा ज्वार भाटा कनाडा के नोवास्कोशिया में स्थित फंडी की खाड़ी में आता हैं। यहाँ पर यह 24 घंटे में दो उच्च ज्वार एवं दो निम्न ज्वार आते हैं। ज्वारीय उभार की ऊंचाई 16 -18 मीटर के बीच होती हैं।
- इंग्लैंड के दक्षिणी तट पर स्थिति साउथैम्पटन में प्रतिदिन 4 बार ज्वार आते हैं। ऐसा होने का कारण यह है कि ये 2 बार इंग्लिश चैनल होकर एवं 2 बार उत्तरी सागर होकर विभिन्न अंतरालों में वहां पहुंचते हैं।
- भारत में सबसे ऊँचा ज्वार (2.7 मीटर) कच्छ की खाड़ी में ओखा तट पर आता हैं।