ब्रिटिश काल में शिक्षा का विकास

ब्रिटिश काल में शिक्षा का विकास

Development of Education during the british period.भारत में आधुनिक शिक्षा का जन्मदाता चार्ल्स ग्रांट को माना जाता हैं। ब्रिटिश काल में शिक्षा के विकास के लिए समय-समय पर आयोग गठित किये जाते रहे हैं।

चार्ल्स वुड डिस्पैज(1854)

  • इस आयोग का गठन डलहौजी के कार्यकाल में हुआ था।
  • इस आयोग को भारतीय शिक्षा का मैग्नाकार्टा कहा जाता है।
  • इस आयोग की संस्तुतियों के आधार पर लन्दन विश्वविद्यालय के तर्ज पर कलकत्ता, बम्बई व मद्रास विश्वविद्यालयों की स्थापना हुई।
  • इस आयोग में यह प्रावधान किया गया कि उच्च शिक्षा के लिए अंग्रेजी माध्यम और प्राथमिक शिक्षा का माध्यम जनभाषा हो।
  • निजी प्रयासों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान सहायता (Grantinaid) की शुरुवात की गई।

हंटर आयोग(1882-83)

  • इस आयोग का गठन लार्ड रिपन के कार्य काल में हुआ।
  • हंटर आयोग में प्राथमिक शिक्षा के प्रसार पर बल दिया गया।

रैले आयोग(1902)

  • इस आयोग का गठन लार्ड कर्जन के समय में हुआ था।
  • रैले के अध्यक्षता में विश्वविद्यालय आयोग की स्थापना हुई
  • 1904 में भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम पारित हुआ

सैडलर आयोग(1917-19)

  • इस आयोग के में माध्यमिक शिक्षा के बाद स्नातक की उपाधि लिए शिक्षा का प्रावधान किया गया।

हाँर्टोग समिति(1929)

  • इस समिति का मुख्य उद्देश्य, प्राथमिक शिक्षा में सुधार तथा केवल प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा का प्रावधान करना था।

वर्धा योजना(1937)

  • यह योजना महात्मा गाँधी द्वारा प्रस्तुत की गई थी इस योजना के अनुसार 7- 14 वर्ष के बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा का प्रावधान किया गया।

सार्जेंट योजना(1944)

  • इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्राथमिक विद्यालय एवं हाई स्कूल की स्थापना तथा 6 वर्ष से 11 वर्ष की आयु के बच्चों को निशुल्क शिक्षा का प्रावधान करना था।

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